मेरी पड़ोसन शबनम
दोस्त की सौतेली मां नमस्कार, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है. आशा है आप सभी लोगों को पसंद आयेगी. यह कहानी थोड़ी धीमी गति से चलेगी, आशा है आप सब लोग सब्र से मेरा साथ देंगे. काफी वक़्त हो गया जबसे उसने कुछ नहीं किया था. ऐसा नहीं था उसको अपने पति से प्यार नहीं था या वो उनसे नफरत करती थी. लेकिन जैसा ज्यादातर शादीशुदा लोगों के साथ होता है, विवाह के इतने वक़्त के बाद, उनकी ज़िन्दगी में से जैसा कुछ खो सा गया था. या शायद इतना ज्यादा एक दूसरे की आदत पड़ गयी थी कि अब वो तीव्रता नहीं रह गयी थी. उसको अब भी वो दिन याद आते हैं, जब वो एक दूसरे की आँखों में देर तक देखा करते थे, एक दूसरे को बांहों में जकड़े हुए और उन भावनाओं को अपने अन्दर पनपते हुए जिसकी उन दोनों को तलाश रहती थी. 45 की उम्र में भी वो उस स्पर्श की कमी महसूस करती थी. 45? सच? कभी कभी उसको खुद पर और स्वयं की कभी ना पूरी होने वाली इच्छाओं पर आश्चर्य होता था. लेकिन जो था, यही था और बहुत चाहते हुए भी वो खुद की कोई मदद नहीं कर सकती थी. 45 की उम्र में शबनम बहुत बुरी नहीं दिखती थी. हालाँकि उसका वजन कुछ बढ़ गया था लेकिन इस वजन ने केवल उसकी